बुधवार, 23 सितंबर 2015

सौगात

ahsas-ek sapna

पास हम अपने समन्दर के किनारे रखते हैं,
आँखों में स्वपनिल सलोने नज़ारे रखते है
चिंगारियाँ से क्या डराओगे मुझे संगदिल ,
दिलों में हम तो जलते हुए अंगार रखते हैं..
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मिट जाये जो लहरों से हम वो रेत के घरौंदे नहीं
जलती लौ को ,आँधियों के लिए सौगात रखते हैं...
तुम अप्सरा होगी,होंगे तुम्हारे दीवाने लाखों
दामन में हम भी "मेनका " की सौगात रखते हैं..
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तुम्हें नाज़ होगा अपनी ताजमहल सी काया पर
पर हम भी अपने दिल में एक मुमताज़ रखते है ....Sanjay Rai
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बेकरारी

ahsas-ek sapna

हो गया कुछ इज़ाफ़ा मेरी भीअक्ल में
जब से गैरों के घर आना-जाना हुआ
बेकरारी ने आँखों में निदियाँ आने न दी
कुछ इस कदर उनका आना जाना हुआ
अपने नाज़ो अदाओं से ग़ाफ़िल न थे वो
नजरें चुरा के जाना तो एक बहाना हुआ
वक्त के साथ आशियाना बदल जाता है
उड़ते परिंदों का कब इक ठिकाना हुआ ....Sanjay Rai

अधूरे ख़्वाब

ahsas-ek sapna

कुछ ख़्वाब अधूरे रह गए , कुछ यादें अधूरी रह गयी
कुछ वादे अधूरे रह गए , कुछ बातें अधूरी रह गयी
कही बादल बरसते रह गए , कही जमीं तरसती रह गयी
रेत के अम्बार उड़ते रह गए ,कुछ बरसातें अधूरी रह गयी
कही समुंदर उमड़ पड़ा , कही शबनम की बुँदे रह गयी
कही अश्क़ छलक पड़े , कही जिंदगी तड़पती रह गयी
महफ़िलों का दौर चलता रहा , उदासी गीत गाती रह गयी
जिक्र जब तेरा जुबां पर आया तो , हर साँस अधूरी रह गयी ....Sanjay Rai